मृत्युञ्जय-यज्ञ का महत्त्व :
ग्रहपीडासु सर्वासु
महागदनिपीडने।
वियोगे बान्धवानां च
जनमार उपस्थिते।।
राज्यभंगे धनग्लानौ
क्षिप्रमृत्युविनाशने।
अभियोगे समुत्पन्ने
मनोधर्मविपर्यये।।
मृत्युञ्जयस्य यज्ञस्य
विधानं क्रियते बुधैः।
राष्ट्रभंगे जनक्लेशे
महारोगनिपीडने।।
मृत्युञ्जयस्य देवस्य
होमं कुर्याद् विशेषतः।
समस्त ग्रहजनित पीडाओंमें, यक्ष्मा, अर्श (बवासीर) आदि महारोगों की विशेष पीडा में, बन्धु-बान्धवों के वियोग होने पर, जननाशकारी रोग के उपस्थित होने पर, राज्यभंग होने पर, धनहानि होने पर, अल्पमृत्यु के विनाशन में, अभियोग उपस्थित होने पर और मनु द्वारा स्थापित धर्म का विपर्यय (उलट-पलट) होने पर विद्वानों ने मृत्युञ्जय यज्ञ का विधान किया है।
राष्ट्रभंग होने पर, जनक्लेश होने पर और महारोगों के द्वारा पीडा होने पर मृत्युञ्जय देव का होम विशेषरुप से करना चाहिए।
- Nikunj Maharaj,
Dakor - Contact : 98981 70781
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